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Monday, 6 March 2017

फूले है जैसे साँस


फूल इस चमन के देखते क्या -क्या झड़े हैं हाय 


सैले-बहार    आँखों   से   मेरी   खां   है   अब


जिन्नो मलक जमीनों-फलक सब निकल गए 


बारे   गिराने  इश्कों-दिले  नातवां   है   अब


पेश  अज-दमे-सहर  मेरा रोना लहू का देख


फूले  है जैसे  सांस वही  यां समां  है अब !!

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